Tenant Rights:किराए पर रहना आज के समय में बहुत आम हो गया है, लेकिन मकान मालिक और किरायेदार के बीच कई बार विवाद खड़े हो जाते हैं। जैसे – अचानक किराया बढ़ा देना, सुविधाएं बंद कर देना या जबरन मकान खाली करवाना। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए भारत के कानून में किरायेदारों को कुछ अहम अधिकार दिए गए हैं, जिनके बारे में हर किरायेदार को जानना जरूरी है। आइए जानते हैं वो 5 महत्वपूर्ण अधिकार जो आपको मकान मालिक की मनमानी से बचा सकते हैं।
1. रेंट एग्रीमेंट बनवाना है जरूरी
किराए पर घर लेते समय रेंट एग्रीमेंट यानी किराया समझौता ज़रूर बनवाएं। इसमें किराए की राशि, रहने की अवधि, नोटिस पीरियड और अन्य शर्तें लिखी होती हैं। यदि कोई विवाद होता है, तो यही दस्तावेज आपकी कानूनी सुरक्षा करता है। बिना रेंट एग्रीमेंट के मकान मालिक किसी भी समय आपको परेशान कर सकता है या जबरन मकान खाली करने को कह सकता है।
🔹 मकान खाली करवाने के लिए मकान मालिक को कम से कम 15 दिन पहले लिखित नोटिस देना जरूरी होता है।
2. किराया बढ़ाने के नियम तय हैं
कई बार मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया बढ़ा देते हैं, जो कि गलत है। कानून के अनुसार, मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले किरायेदार को लिखित नोटिस देना होगा, जिसमें बढ़ोतरी का कारण भी स्पष्ट होना चाहिए। यदि आप बढ़ाए गए किराए से सहमत नहीं हैं, तो आप अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं या किराया प्राधिकरण में शिकायत कर सकते हैं।
🔸 मकान मालिक तभी मकान खाली करवा सकता है जब किरायेदार 2 महीने से किराया न दे या मकान का दुरुपयोग करे।
3. सिक्योरिटी डिपॉजिट का भी नियम है
कई बार मकान मालिक भारी सिक्योरिटी डिपॉजिट मांगते हैं, लेकिन इसके लिए भी कानून ने सीमा तय की है। किरायेदार से अधिकतम दो महीने के किराए के बराबर सिक्योरिटी डिपॉजिट लिया जा सकता है। साथ ही, जब आप मकान छोड़ते हैं तो मकान मालिक को एक महीने के भीतर ये राशि वापस करनी होती है।
⚠️ राशि न लौटाने पर आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
4. मरम्मत की जिम्मेदारी किसकी है?
किराए के मकान में कोई जरूरी मरम्मत – जैसे बिजली, पानी, दीवार या छत की खराबी – की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। यदि मकान मालिक मरम्मत नहीं कराता, तो किरायेदार खुद मरम्मत करवा कर उसका खर्च किराए से समायोजित कर सकता है, लेकिन इसके लिए सबूत रखना जरूरी है।
✅ यह नियम किरायेदार की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
5. निजता और शांति का पूरा अधिकार
किरायेदार को अपने किराए के मकान में पूर्ण निजता और शांति का अधिकार है। मकान मालिक बिना अनुमति किरायेदार के घर में नहीं घुस सकता। यदि मकान मालिक को किसी कारणवश आना हो, तो उसे पहले सूचना देनी और अनुमति लेनी होगी।
🔒 यह अधिकार किरायेदार को सुरक्षा और स्वतंत्रता देता है।
अन्य जरूरी बातें
मकान मालिक बिजली-पानी जैसी सुविधाएं जबरदस्ती बंद नहीं कर सकता, चाहे किराया बकाया हो।
किसी विवाद की स्थिति में किराया प्राधिकरण या कोर्ट का सहारा लिया जा सकता है।
किरायेदार यूनियन या वकील से सहायता लेना भी एक विकल्प है।
किरायेदारों को दिए गए ये 5 बड़े अधिकार मकान मालिक की मनमानी से सुरक्षा देते हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं। हर किरायेदार को इन नियमों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वो अपने अधिकारों की रक्षा कर सके। साथ ही, मकान मालिक को भी चाहिए कि वो नियमों का पालन करें और दोनों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बना रहे।
यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी कानूनी सलाह के लिए संबंधित विशेषज्ञ या वकील से संपर्क करना उचित रहेगा